मेरी अधूरी मोहब्बत पे बड़ा गुमान है मुझको कहते है मुकम्मल होके अक्सर मोहब्बत मर जाती हैं
मेरे दिल को छू कर वो मेरी रूह में ठहर जाती हैं मैं थाम के जो पूछू वो पल भर में मुकर जाती हैं। मैं सारी रात बैठा रहा उसके ही ख्यालों में बस उसके ही ख्यालों में मेरी रात गुजर जाती हैं हुआ असर है आंखो पे तुम्हे केसे बयां करू देखू मैं जन्हा जन्हा बस तू ही नजर आती है केसे भी करके सांसों को में संभाल लेता हूं तू फिर भी आखों के रास्ते मेरे दिल मे उतर जाती हैं मैं बेनाम शायर मैं लिखता हु कहा लिखना आता है मुझे जो सबके दिल को है छूती वो लफ्ज़ बनके मेरी गजलो में बिखर जाती हैं मेरी अधूरी मोहब्बत पे बड़ा गुमान है मुझको कहते है मुकम्मल होके अक्सर मोहब्बत मर जाती हैं देख लो आके तुम भी मेरी बिखरी सी दुनिया मे सुना है यन्हा आके बिगड़ी मोहब्बत सुधर जाती हैं ❤️❤️❤️❤️ ✍️सोनल सिंह राजपूत